-
शीर्ष समाचार |
-
मेरा शहर |
- महाकुंभ |
- मेरा गुजरात |
- मनोरंजन |
- भारत |
- खेल |
-
टेक |
-
गैजेट्स |
-
इनोवेशन |
-
सॉफ्टवेयर और ऐप्स |
-
एजुकेशन |
- दुनिया |
- More
- Game/खेल
बिहार: जिस दुर्गा मंदिर में कन्हैया कुमार ने की सभा, वहां के प्रांगण को लोगों ने गंगाजल से धोया!
- Reporter 12
- 28 Mar, 2025
बिहार में राजनीति और धर्म का मेल कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में एक घटना ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी। पूर्व जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने एक दुर्गा मंदिर में सभा की, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने मंदिर के प्रांगण को गंगाजल से धोकर शुद्धिकरण किया। इस घटना को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां कुछ लोग इसे धार्मिक आस्था से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं कई इसे एक राजनीतिक विवाद बता रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
घटना बिहार के एक प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर की है, जहां कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने अपने समर्थकों के साथ एक सभा की। इस दौरान उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बात की। सभा में बड़ी संख्या में उनके समर्थक और स्थानीय लोग मौजूद थे। लेकिन उनके जाने के बाद, कुछ स्थानीय लोगों ने मंदिर प्रांगण को गंगाजल से धोया, जिससे विवाद खड़ा हो गया।
लोगों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों, नेताओं और पुजारियों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
कन्हैया कुमार के समर्थकों का बयान
कन्हैया कुमार के समर्थकों का कहना है कि यह सभा किसी धार्मिक अपमान के लिए नहीं थी, बल्कि जनता से संवाद करने के लिए आयोजित की गई थी। उनके मुताबिक, कन्हैया कुमार धर्म और आस्था का सम्मान करते हैं, और यह सभा पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा थी।
मंदिर समिति और भक्तों की प्रतिक्रिया
मंदिर से जुड़े कुछ स्थानीय भक्तों और पुजारियों ने इसे धार्मिक स्थल की पवित्रता का सवाल बताया। उनका कहना है कि राजनीतिक भाषणों के लिए मंदिर का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। इसी कारण उन्होंने मंदिर को फिर से पवित्र करने के लिए गंगाजल से शुद्धिकरण किया।
राजनीतिक विरोध और समर्थन
इस घटना के बाद बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों में बहस छिड़ गई है।
-
भाजपा और अन्य हिंदू संगठनों ने इसे मंदिर की पवित्रता से खिलवाड़ बताया और कहा कि राजनीतिक लोगों को धार्मिक स्थलों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
-
कांग्रेस और कन्हैया कुमार के समर्थकों ने इसे विपक्षी दलों की साजिश करार दिया और कहा कि यह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास है।
क्या मंदिर में राजनीतिक कार्यक्रम सही है?
भारत में धर्म और राजनीति का गहरा संबंध है, लेकिन धार्मिक स्थलों पर राजनीतिक सभाओं को लेकर हमेशा विवाद होते रहे हैं। कुछ प्रमुख बिंदु:
धार्मिक स्थल पर राजनीतिक चर्चा:
भारत में कई बार राजनीतिक नेता मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों का दौरा करते हैं, लेकिन वहां राजनीतिक भाषण देना कितना सही है, इस पर बहस बनी रहती है।
संविधान और धर्मनिरपेक्षता:
भारतीय संविधान के अनुसार, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां राजनीति को धर्म से अलग रखना चाहिए।
पूर्व में ऐसे विवाद:
यह पहली बार नहीं है जब किसी धार्मिक स्थल में राजनीतिक सभा को लेकर विवाद हुआ हो। इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां धार्मिक स्थलों पर नेताओं के जाने से विवाद खड़ा हुआ है।
इस घटना का राजनीतिक असर
बिहार जैसे राज्य में जहां जातीय और धार्मिक राजनीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, वहां इस तरह की घटनाएं राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील होती हैं।
बिहार चुनावों पर असर:
बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में यह घटना राजनीतिक लाभ और नुकसान दोनों दे सकती है।
कन्हैया कुमार की छवि पर प्रभाव:
-
उनके समर्थकों को इससे फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन विरोधी इसे उनकी धर्मनिरपेक्षता और विचारधारा के खिलाफ तूल देने की कोशिश करेंगे।
-
इससे उनकी हिंदू मतदाताओं के बीच छवि प्रभावित हो सकती है।
विपक्ष को मौका:
भाजपा और अन्य विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस और कन्हैया कुमार पर हमला कर सकते हैं, जिससे आने वाले चुनावों में यह मुद्दा गर्म रह सकता है।
सोशल मीडिया पर विवाद
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई।
-
#KanhaiyaInTemple और #GangaJalPurification जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
-
कुछ लोग इसे धर्म के अपमान से जोड़कर देख रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं।
क्या आगे कोई कानूनी कार्रवाई हो सकती है?
अगर इस घटना को लेकर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज की जाती है, तो यह मामला कानूनी दायरे में आ सकता है।
-
अगर मंदिर प्रशासन इसे गंभीर मानता है, तो एफआईआर दर्ज हो सकती है।
-
चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन के आधार पर भी जांच हो सकती है।
निष्कर्ष
बिहार में कन्हैया कुमार की दुर्गा मंदिर सभा और उसके बाद गंगाजल से शुद्धिकरण की घटना ने राजनीतिक और धार्मिक बहस को जन्म दे दिया है।
-
एक तरफ राजनीति और धर्म के बीच की रेखा फिर से सवालों में आ गई है।
-
दूसरी तरफ, इसका असर बिहार की राजनीति और आने वाले चुनावों पर पड़ सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि यह विवाद आगे क्या मोड़ लेता है और इसका कन्हैया कुमार के राजनीतिक करियर पर क्या प्रभाव पड़ता है।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *

